यह खुलासा किया है पुरुष अधिकाराें के लिए लड़ाई लड़ने वाली संस्थाओं ने। इनका कहना है कि दहेज के खिलाफ सख्त कानून बना है लेकिन इसमें दहेज लेने वालाें के खिलाफ ताे प्रकरण दर्ज हाेता है लेकिन देने वालाें के खिलाफ नहीं। जेंडर बायस्ड कानून के खिलाफ आवाज उठाने वाली संस्थाओं ने देश में पुरुष आयाेग बनाने के लिए मुहिम छेड़ी है। उनका कहना है जिस दिन पुरुष आयाेग बन जाएगा, उस दिन से ही अदालताें में दर्ज प्रकरणाें की संख्या घटकर एक तिहाई हाे जाएगी।
पुरुष अधिकाराें की लड़ाई लड़ने वाली भाेपाल की भाई वेलफेयर साेसाइटी और इंदाैर की पीपुल अगेंस्ट अनइक्वल रूल्स यूज्ड रूल्स यूज्ड टू शेल्टर हैरासमेंट (पाैरुष संस्था), राष्ट्रीय पुरुष आयाेग समन्वय समिति के सदस्याें का कहना है कि हम चाहे जितने हाइटेक हाे जाए लेकिन अभी भी दहेज की गिरफ्त से हम बाहर नहीं हाे पाएं है। देश में जाे भी कानून बनाए गए हैं वे केवल पत्नी और बहू के लिए है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केवल मप्र में एक साल में 1.62 लाख प्रकरण दहेज प्रताड़ना के दर्ज हुए हैं। वहीं भाेपाल में 1518 मामले दहेज प्रताड़ना के दर्ज किए गए है। उसमें सबसे ज्यादा महिलाअाें के द्वारा प्रताड़ित हाेने वाले की पुरुषाें की अायु 21 से 40 वर्ष के बीच है।